भोपाल, 28 जून: आर्थिक तंगी में जूझ रही मध्य प्रदेश की मोहन सरकार एक बार फिर बड़ा कर्ज लेने की तैयारी में है। सरकार वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए 88,540 करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है, जिससे सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस कर्ज में से 73,540 करोड़ रुपये बाज़ार से उधार लिए जाएंगे, जबकि 15,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से प्राप्त किए जाएंगे।
कर्ज की वजह और योजनाओं का खर्च
मोहन सरकार द्वारा लिए जा रहे इस कर्ज का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की विभिन्न फ्री वाली योजनाओं को सुचारू रूप से चलाना है। इनमें लाड़ली बहना योजना और फ्रीबीज स्किम जैसी योजनाएं शामिल हैं, जिन पर हजारों करोड़ रुपये का सालाना खर्च होता है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने 55,708 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जबकि इस बार कर्ज की राशि 38% अधिक है।
पूर्व में लिया गया कर्ज
इससे पहले भी मध्य प्रदेश सरकार ने रिजर्व बैंक के मुंबई कार्यालय के माध्यम से 26 मार्च को तीन हिस्सों में कर्ज लिया था। पहला कर्ज 20 साल के लिए दो हजार करोड़ रुपये का था। इसी तरह दो हजार करोड़ का दूसरा कर्ज 21 साल के लिए और एक हजार करोड़ रुपये का तीसरा कर्ज लिया गया, जो 22 साल में चुकाया जाएगा। इन कर्जों पर साल में दो बार ब्याज का भुगतान किया जाना था।
सरकार की इस कर्ज लेने की नीति पर विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है। विपक्ष का कहना है कि सरकार बिना सोच-विचार किए योजनाएं चला रही है, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ सकती है। वहीं, सरकार का कहना है कि ये योजनाएं जनता के हित में हैं और इससे राज्य के विकास में मदद मिलेगी। अब देखना यह है कि इस भारी भरकम कर्ज से प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है और ये योजनाएं कितना कारगर साबित होती हैं।