स्वदेश दर्शन योजना भारत सरकार की एक पर्यटन विकास योजना है जिसका उद्देश्य भारत में पर्यटन को बढ़ावा देना और विकसित करना है। यह योजना 2014-15 में शुरू की गई थी और इसके तहत पर्यटन मंत्रालय राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है ताकि वे अपने क्षेत्रों में पर्यटन बुनियादी ढांचे का विकास कर सकें।
स्वदेश दर्शन योजना
पर्यटन मंत्रालय ने 2015 में स्वदेश दर्शन योजना शुरू की थी और अब तक इस योजना के तहत 76 परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है। पर्यटन मंत्रालय ने योजना की विस्तृत समीक्षा की और निम्नलिखित क्षेत्रों में सुधार की पहचान की:
- केंद्रीय स्वीकृति और निगरानी समिति का आधार बढ़ाना
- योजना के लिए राज्य स्तरीय संस्थागत ढांचा
- गंतव्यों का रणनीतिक चयन
- गंतव्य का विस्तृत बेंचमार्किंग और अंतराल विश्लेषण
- हार्ड और सॉफ्ट दोनों हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करना
- परियोजना कार्यान्वयन और निगरानी को मजबूत बनाना
- स्थायी आधार पर संचालन और रखरखाव
- गंतव्यों का प्रचार और विपणन
- प्रभाव आकलन
विस्तृत समीक्षा के आधार पर, मंत्रालय ने योजना को नया स्वरूप दिया है। “वोकल फॉर लोकल” के मंत्र के साथ, नई योजना, जिसे स्वदेश दर्शन 2.0 नाम दिया गया है, का उद्देश्य भारत की पर्यटन स्थल के रूप में पूरी क्षमता का एहसास कर “आत्मनिर्भर भारत” प्राप्त करना है। स्वदेश दर्शन 2.0 एक वृद्धिशील परिवर्तन नहीं है बल्कि एक पीढ़ीगत बदलाव है जो स्वदेश दर्शन योजना को एक समग्र मिशन के रूप में विकसित करने के लिए है जो पर्यटन और संबद्ध बुनियादी ढांचे, पर्यटन सेवाओं, मानव पूंजी विकास, गंतव्य प्रबंधन और नीति और संस्थागत सुधारों द्वारा समर्थित प्रचार को शामिल करता है।
स्वदेश दर्शन 2.0 योजना
स्वदेश दर्शन 2.0 योजना भारत सरकार की एक पर्यटन विकास योजना है जिसका उद्देश्य भारत में पर्यटन को बढ़ावा देना और विकसित करना है। इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य पर्यटन और आतिथ्य में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना है।
इस योजना के तहत, सरकार निजी क्षेत्र को पर्यटन विकास परियोजनाओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार निजी क्षेत्र को वित्तीय सहायता, कर छूट और अन्य प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।
निजी क्षेत्र के निवेश से पर्यटन के क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा मिलेगा। पीपीपी एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर किसी परियोजना को पूरा करते हैं। पीपीपी से सरकार को वित्तीय बोझ कम करने में मदद मिलेगी और निजी क्षेत्र को पर्यटन विकास के अवसर मिलेंगे।
निजी क्षेत्र के निवेश से योजना के तहत निर्मित संपत्तियों के संचालन और रखरखाव में भी मदद मिलेगी। निजी क्षेत्र के पास इस क्षेत्र में अनुभव और विशेषज्ञता है। इससे योजना के तहत निर्मित संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और रखरखाव होगा।
स्वदेश दर्शन 2.0 योजना से भारत में पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। निजी क्षेत्र के निवेश से पर्यटन के क्षेत्र में नई परियोजनाओं का विकास होगा और मौजूदा परियोजनाओं का विस्तार होगा। इससे पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।
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स्वदेश दर्शन योजना सर्किट के प्रकार
स्वदेश दर्शन योजना के तहत, पर्यटन मंत्रालय निम्नलिखित प्रकार के पर्यटन सर्किटों को विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है:
- सांस्कृतिक सर्किट: इस प्रकार के सर्किट में प्राचीन मंदिरों, स्मारकों, कला और संस्कृति के अन्य स्थलों का समावेश होता है।
- प्राकृतिक सर्किट: इस प्रकार के सर्किट में राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों, झीलों, नदियों और अन्य प्राकृतिक सुंदरता वाले क्षेत्रों का समावेश होता है।
- सामाजिक-आध्यात्मिक सर्किट: इस प्रकार के सर्किट में धार्मिक स्थलों, तीर्थयात्रा मार्गों और अन्य सामाजिक-आध्यात्मिक महत्व के स्थलों का समावेश होता है।
- एडवेंचर पर्यटन सर्किट: इस प्रकार के सर्किट में पर्वतीय क्षेत्रों, जंगलों, नदियों और अन्य प्राकृतिक परिदृश्यों में साहसिक गतिविधियों जैसे ट्रेकिंग, कैम्पिंग, राफ्टिंग आदि का समावेश होता है।
स्वदेश दर्शन योजना के तहत कुल 15 विषयगत सर्किट के नाम
स्वदेश दर्शन योजना के तहत कुल 15 विषयगत सर्किट हैं। ये सर्किट निम्नलिखित हैं:
- गंगा सर्किट
- हिमालयी सर्किट
- दक्षिण भारत सर्किट
- पूर्वोत्तर भारत सर्किट
- बौद्ध सर्किट
- तटीय सर्किट
- डेज़र्ट सर्किट
- इको सर्किट
- हेरिटेज सर्किट
- कृष्णा सर्किट
- नॉर्थ-ईस्ट सर्किट
- रामायण सर्किट
- ग्रामीण सर्किट
- आध्यात्मिक सर्किट
इन सर्किटों को उनकी विषयगत विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। उदाहरण के लिए, गंगा सर्किट धार्मिक महत्व के स्थलों को जोड़ता है, जबकि हिमालयी सर्किट प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थलों को जोड़ता है।
इन सर्किटों के विकास से भारत में पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिला है। इन सर्किटों ने भारत की विविध सांस्कृतिक, प्राकृतिक और सामाजिक-आध्यात्मिक विरासत को दुनिया भर के पर्यटकों के लिए प्रदर्शित करने में मदद की है।
Swadesh Darshan Scheme मुख्यबाते
योजना का नाम | स्वदेश दर्शन योजना |
मंत्रालय | पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार |
प्रधानमंत्री | नरेंद्र मोदी |
योजना का प्रकार | केंद्रीय योजना |
योजना शुरू की गयी | 2014-15 |
आधिकारिक वेबसाइट | https://swadeshdarshan.gov.in/ |
मंत्रालय वेबसाइट | https://tourism.gov.in/hi/savadaesa-darasana-yaojanaa |
योजना दिशानिर्देश | क्लिक करे |
स्वदेश दर्शन योजना के तहत वित्तीय सहायता
वित्तीय सहायता का उपयोग निम्नलिखित प्रकार की परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है
- पर्यटन आधारभूत संरचना विकास: इस प्रकार की परियोजनाओं में होटल, रेस्तरां, पर्यटन सूचना केंद्र, परिवहन सुविधाएं और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है।
- पर्यटन प्रचार और विपणन: इस प्रकार की परियोजनाओं में पर्यटन स्थलों का प्रचार और विपणन करने के लिए विज्ञापन, ब्रांडिंग और अन्य गतिविधियों को शामिल किया जाता है।
- पर्यटन विकास प्रबंधन: इस प्रकार की परियोजनाओं में पर्यटन स्थलों के प्रबंधन और संचालन के लिए प्रशिक्षण और अन्य गतिविधियों को शामिल किया जाता है।
स्वदेश दर्शन योजना ने भारत में पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत वित्तीय सहायता से भारत में कई नए पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है और मौजूदा पर्यटन स्थलों का बुनियादी ढांचा भी बेहतर हुआ है। इससे भारत में पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हुई है।
स्वदेश दर्शन योजना के तहत देश के विकसित कुछ प्रमुख पर्यटन सर्किट
- गंगा सर्किट: यह सर्किट उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के किनारे स्थित तीर्थयात्रा स्थलों को जोड़ता है।
- हिमालयी सर्किट: यह सर्किट उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और सिक्किम में हिमालय पर्वतमाला के आसपास स्थित पर्यटन स्थलों को जोड़ता है।
- दक्षिण भारत सर्किट: यह सर्किट आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में स्थित पर्यटन स्थलों को जोड़ता है।
- पूर्वोत्तर भारत सर्किट: यह सर्किट असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में स्थित पर्यटन स्थलों को जोड़ता है।
स्वदेश दर्शन योजना भारत में पर्यटन के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना के तहत वित्तीय सहायता से भारत में पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हुई है।