MP Annapurna Unnat Beej Yojana 2024: किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत किसानो के उत्थान के लिए विभिन्न किसान कल्याण योजनाओ का संचालन किया जाता है।
मध्यप्रदेश अन्नपूर्णा उन्नत बीज योजना की हम आज बात करेंगे। जिसमे किसानो को उन्नत किस्म के बीज विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जाते है। कृषि विभाग की अन्नपूर्णा योजना को जिला पंचायतों के माध्यम से क्रियान्वित किया जाता है।
अन्नपूर्णा उन्नत बीज योजना 2024
कृषि विभाग की धान बीज अदला-बदली कार्यक्रम के क्रियान्वयन में कुछ परिवर्तनों के साथ अधिक्रमित करते हुये। अब वर्ष 2000-01 में योजनान्तर्गत फसलों को सम्मिलित किया जाकर अनूसूचित जनजाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों के साथ ही अनुसूचित जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों को भी लाभ दिया जाना है।
- अनुदान हेतु किसान पंजीकरण
- ई कृषि यंत्र अनुदान योजना
- कृषि सिंचाई योजना
- किसान ऑनलाइन पंजीयन
- फसल बीमा योजना
- किसान मानधन योजना
- किसान सुविधा पोर्टल एक स्मार्ट ऐप
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- एमपी भूलेख खसरा खतौनी नक्शा ऑनलाइन
- मुर्गी पालन योजना सब्सिडी
MP Annapurna Unnat Beej Yojana उद्देश्य
राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लघु एवं सीमांत किसान जो उत्पादन देने वाली खाद्यान्न फसलों की उन्नत किस्मों के बीज खरीदने में असमर्थ होते है। ऐसे कृषकों को उन्नत बीज उपलब्ध कराने हेतु यह योजना शुरू की गयी है। इससे किसानो को आर्थिक सहायता प्रदान कर उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाकर आर्थिक स्थिति सुधारना योजना का मुख्य उद्देश्य है।
अन्नपूर्णा उन्नत बीज योजना के Key Point
योजना का नाम | अन्नपूर्णा उन्नत बीज योजना |
योजना शुरू की गई | वर्ष 2000 |
विभाग | किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग |
राज्य | मध्यप्रदेश |
योजना का उद्देश्य | किसानो को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराना |
लाभार्थी | राज्य के किसान |
आधिकारिक वेबसाइट | mpkrishi.mp.gov.in |
Annapurna Unnat Beej Yojana का स्वरूप
वर्ष 1998-99 तक धान, बीज अदला-बदली योजनान्तर्गत आदिवासी लघु एवं सीमांत कृषकों को उनके द्वारा दिये गये बीज के बदले बहुतायत उत्पादन देने वाली धान फसल के उन्नत बीज एक हेक्टेयर की सीमा तक के लिये प्रदाय किये जाते थे।
1999-2000 में बीज स्वावलम्बनएवं बीजोत्पादन कार्यक्रमों को भी शामिल किया गया।
वर्ष 2000-2001 से सभी खाद्यान्न फसलों के उन्नत बीज अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषकों को उपलब्ध कराया जाना है।
बीज अदला-बदली कार्यक्रम
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषकों को खाद्यान्न फसलों की विपुल उत्पादन देने वाली किस्मों के उन्नत बीज उनके द्वारा दी गई फसल के विरूद्ध उपलब्ध कराये जायेंगे ।
- योजना में उन्नत किस्मों को प्राथमिकता दी जायेगी जो क्षेत्र के लिये उपयुक्त / प्रचलित हो। इसमें समयावधि का बंधन नही रहेगा ।
- कृषकों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराया जायेगा।
- जो भी कृषक जिस किसी भी फसल के बीज देगा।
- उसके बदले में उसको भूमि एवं क्षेत्र के लिए उपयुक्त किस्मों के बीज बराबर मात्रा में एक हेक्टेयर की सीमा तक के लिये उपलब्ध कराये जायेंगे।
- यदि कृषक अन्य फसल का बीज देता है तो कृषक द्वारा दिया गया बीज चाही गई फसल के प्रमाणित बीज की वास्तविक कीमत का 25 प्रतिशत मूल्य का होना चाहिए।
बीज स्वावलम्बन कार्यक्रम
- इस कार्यक्रम अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषकों को उनके द्वारा धारित भूमि के 1/10 रकबे के लिये आधार प्रमाणित बीज दिये जायेंगे।
- जिससे कि अगले वर्ष कृषक के पास स्वयं के अपने पूरे क्षेत्र के लिये अच्छे उत्पादन देने वाली किस्मों के उन्नत बीज उपलब्ध हो सके।
- कृषक को आधार बीज उपलब्ध कराने से अगले तीन वर्षो तक बीज की आवश्यकता नही होगी, और यदि प्रमाणित बीज दिया गया तो
- क्रमश: अगले दो, एक वर्ष के लिये बीज की आवश्यकता नहीं होगी।
- कृषक को उपरोक्त दर्शाये अनुसार एक दो या तीन वर्ष बाद योजना के अंतर्गत बीज उपलब्ध कराया जा सकता है।
- अगले वर्ष कृषक अन्य लाभकारी फसल या उपयुक्त नई किस्म लेना चाहता है। तो उसके लिये बीज उपलब्ध कराया जा सकेगा।
MP Annapurna Unnat Beej Utpadan Yojana
क्षेत्र निर्धारण
शासकीय कृषित प्रक्षेत्रों के दस किलोमीटर की परिधि में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषकों को खाद्यान्न फसलों के उन्नत किस्मों के बीज उत्पादन के लिये आधार / प्रमाणित बीज उपलब्ध कराये जायेंगे।
कूषक द्वारा कम से कम 1/2 एकड (0.2 हेक्टर) क्षेत्र में कार्यक्रम लिया जायेगा। अधिकतम एक हेक्टेयर तक अनुदान प्रात्रता रहेगी।
पंजीयन
कृषकों को अनिवार्यतः बीज प्रमाणीकरण संस्था में पंजीयन कराना होगा
प्रक्रिया
प्रक्षेत्र के आस पास लिये जाने वाले बीजोत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत उत्पादित बीज का ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग, स्टाकिंग एवं पैकिंग प्रक्षेत्र पर किया जावेगा।
यदि प्रक्षेत्र पर उक्त सुविधा उपलब्ध नहीं हो तो बीज निगम/अन्य संस्थों के प्रक्रिया केन्द्र पर उक्त सुविधा कृषकों को दी जावेगी।
उन्नत बीज व्यवस्था
इस प्रकार उत्पादित बीज की व्यवस्था बीज उत्पादक समिति के द्वारा की जावेगी।
जिसका गठन बीज उत्पादक कृषकों के सहयोग से कृषि प्रक्षेत्र के अधीक्षक द्वारा किया जावेगा।
समिति के अध्यक्ष एवं प्रक्षेत्र अधीक्षक का संयुक्त खाता बैंक में खोला जावेगा।
क्षेत्र में समिति न बनने की स्थिति में प्रक्षेत्र अधीक्षक के द्वारा उत्पादित बीज की खरीदी शासन द्वारा निर्धारित खरीदी मूल्य पर की जावेगी।
उत्पादित बीज व्यवस्था
जब तक रिवोलविंग फण्ड की स्वीकृति नही दी जाती है।
तब तक प्राप्त आवंटन में से उत्पादन कार्यक्रम अंतर्गत उपार्जित बीज की खरीदी ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग, स्टाकिंग एवं पेकिंग में व्यय किया जावेगा।
तैयार उत्पादित बीज अन्य अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जानजाति के कृषकों को अगले वर्ष उपलब्ध कराया जा सकेगा।
उक्त प्रक्रिया अपनाने से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कृषकों को उत्पादित खाद्यान्न फसलों का उन्नत बीज उचित मूल्य पर उपलब्ध हो सकेगा।
अन्नपूर्णा उन्नत बीज योजना में निम्न खाद्यान्न फसलें शामिल की गई है
- खरीफ – धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, कौदो, कूुटकी, रागी
- रबी – गेंहूं, जौं
बीज क्रियान्वयन के घटक
1. बीजो के क्रियान्वयन में जिला पंचायत की भूमिका रहेगी – बीज अदला बदली कार्यक्रम
2. बीजो का क्रियान्वयन संचालक कृषि के निर्देश पर उप संचालक कृषि सीधे करेगें वे नीचे दिये गये है – बीज उत्पादन कार्यक्रम, बीज स्वालम्बन कार्यक्रम
बीज वितरण रुपरेखा
- उप संचालक कृषि बीज, अदला बदली घटक की राशि का व्यय जिला पंचायत की कृषि स्थायी समिति के अनुमोदन उपरांत करेंगे ।
- अनुमोदन उपरांत इसकी सूचना अनुविभागीय कृषि अधिकारी एवं विकासखण्ड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को देगें।
- जिसकी सूचना कृषि विकास अधिकारी एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को दी जावेगी।
अन्नपूर्णा उन्नत बीज योजना हितग्राही का चयन
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषकों का प्राथमिक चयन ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा किया जायेगा।
- ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी लक्ष्यों से डेढ़ गुना हितग्राहियों का चयन करेंगे।
- ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी कृषकों के नामों की सूची तैयार कर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को प्रेषित करेंगे।
- प्रतिवर्ष नये कृषकों को बीज दिया जावेगा।
- यदि पुराने कृषक को पुनः बीज दिया जाता है तो उस फसल।
- किस्म के लिये नही दिया जायेगा, जिसे पूर्व के वर्षो में दिया गया था।
- उद्देश्य यह है कि अधिक से अधिक कृषक लाभकारी नई फसल /किस्मों को अपना सके।
- वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी प्राप्त प्राथमिक सूची का अनुमोदन जनपद पंचायत की कृषि स्थायी समिति से करायेगें।
- इस सूची में पहले लिखे नामों को वरीयता दी जावेगी।
- शेष कृषक प्रतीक्षा सूची में रहेगे । प्रतीक्षा सूची फसल मौसम तक ही मान्य रहेगी और अंतिम होगी ।
- इसमें किसी अन्य स्तर से फेरबदल नही किया जावेगा।
अन्नपूर्णा उन्नत बीज क्रियान्वयन
- चयनित हितग्राही को उच्च उत्पादन देने वाली किस्मों के बीज सेवा सहकारी समिति /विकास खण्ड, शासकीय कृषि प्रक्षेत्र के माध्यम से बीज प्रदाय किये जावेगें।
- किसी भी कृषक को एक हेक्टेयर की आवश्यकता से अधिक उन्नत बीज प्रदाय नही किया जावेगा ।
- उन्नत बीज प्रदाय संस्था क्षेत्र की मांग अनुसार निकटतम केन्द्र में बीज भंडारित किया जावेगा।
- ताकि बीज वितरण संस्थाएँ केन्द्र से आसानी से बीज ले जा सकें।