बकरी पालन बिजनेस कैसे करे? Online Registration, कुल खर्चा, प्रमुख नस्ले, लाभ, सरकारी योजनाएँ, बीमारिया और उपचार 

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हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है यहाँ की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवो में निवास करती है। जिनकी आजीविका का साधन मुख्यतः कृषि और पशुपालन होता है। इनमे से लगभग 1 तिहाई लोग गरीबी रेखा के निचे जीवन यापन करते है। जिनमे से ज्यादातर सीमांत किसान एवं कृषि मजदुर आते है। ये लोग साधनो के अभाव के कारण गाय, भैंस जैसे बड़े पशुओ को नहीं रख सकते। देसी बकरी पालन (Desi Bakari Palan) कम खर्चीला तथा ज्यादा लाभकारी होने से उनकी आर्थिक सुधारने के लिए वरदान साबित हुआ है।

Bakari Palan

बकरी पालन योजना एक बहुत ही लाभ का बिजनेस है। आप छोटी सी जगह में 5 से 6 बकरियों से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। बकरी पालन का व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है जिसमे थोड़ी सी सावधानी के साथ बिजनेस शुरू कर सकते है। आज इस लेख में आपको बताएँगे की आप कैसे बकरी पालन बिजनेस शुरू करे तथा इसमें कुल खर्चा कितना लगता है। साथ ही बकरी की प्रमुख नस्ले, लाभ, सरकार से मिलने वाली बकरी पालन सब्सिडी योजनाएँ, बीमारी तथा उसका उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी है। Desi Bakri Palan business में आपको शुरू में इन बातो का ध्यान रखना होगा।

इस लेख के बारे में !

बकरी पालन बिजनेस (Goat farming business)

Goat Farming Business एक ऐसा बिजनेस है जिसमे थोड़ी सी जानकारी के साथ कम निवेश में व्यवसाय शुरू कर सकते है और अधिक लाभ देता है। Bakari Palan मुनाफे वाला बिजनेस है, तथा यह व्यवसाय मानव के साथ पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है। क्योकि बकरी का दूध औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका दूध काफी महंगा बिकता है। बकरी के गोबर से महत्वपूर्ण जैविक खाद बनाई जाती है।

Bakari Palan के लाभ 

निम्न प्रकार से बकरी पालन में आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते है:-

  1. दुधारू बकरियों को बेचकर लाभ
  2. बकरो को मांस के रूप में बचकर
  3. उन और खाल द्वारा प्राप्त आय से
  4. बकरियों का खाद बेचकर

बकरी पालन शेड

Desi Bakri Palan का शेड आप सरकार की मनरेगा योजना के तहत बना सकते है। सरकार इसके लिए सहायता प्रदान करती है। यदि आप स्वयं के खर्चे पर बकरी पालन का शेड बनवाना चाहते है तो छोटा बकरी पालन शेड के लिए 50 से 60 हजार रुपये लग सकते है। अगर आप बड़ा शेड बना रहे है तो इसका खर्चा 1 लाख से 2 लाख तक हो सकता है। बकरी पालन का शेड, बकरियों की संख्या पर निर्भर करता है की आप कितनी बकरिया पालना चाहते है।

देसी बकरी पालन की कीमत

व्यवसाय का नामबकरी पालन बिजनेस
1 बकरी की कीमत3 से 4 हजार
1 बकरे की कीमत5 से 6 हजार
50 बकरियों की कीमतरु 1 लाख 50 हजार
50 बकरो की कीमतरु 2 लाख 50 हजार

बकरी बेचने पर लाभ 

बकरी बेचने पर 1 की कीमत 5 से 6 हजार होती है। वही बकरे की कीमत 8 से 15 हजार तक हो सकती है।

50 बकरी बेचने पर1 का मूल्य 5 हजार2 लाख 50 हजार रु1 लाख रु का लाभ 
50 बकरे बेचने पर1 का मूल्य 10 हजार5 लाख रुरु 2 लाख 50 हजार लाभ

Bakari Palan Yojana Online registration

कोई व्यक्ति यदि बकरी पालन व्यवसाय शुरू करना चाहता है तो राज्यों के द्वारा विभिन्न पशुपालन योजनाओ के तहत सब्सिडी दी जाती है। इन योजनाओ में राज्यों के पशुपालन विभाग के द्वारा ऑनलाइन आवेदन प्राप्त किये जाते है।

देसी बकरी पालन मध्य प्रदेश

MP Bakri palan online registration के तहत जिला पशुपालन एवं डेयरी विभाग से संपर्क कर बकरी पालन योजना सब्सिडी का लाभ ले सकते है। मध्यप्रदेश बकरी पालन योजना का लाभ सभी व्यक्ति ले सकते है। इसके तहत जमनापारी,बारबरी एवं सिरोही बकरा की नस्ल दी जाती है। योजना में प्रति बकरा 7500 रु प्रदान किये जाते है। सभी वर्ग के लिए सरकार द्वारा 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है जिसमे हितग्राही का 25 प्रतिशत अंश होता है। आधिकारिक वेबसाइट www.mpdah.gov.in पर योजना से सम्बंधित जानकारी देख सकते है।

राजस्थान बकरी पालन योजना रजिस्ट्रेशन

राज्य में बकरी पालन का व्यवसाय लगभग हर जगह होता है एवं बहुआयात में बकरियों का पालन किया जाता है। प्रदेश में पशुपालन विभाग (animalhusbandry.rajasthan.gov.in) द्वारा Desi bakri palan के लिए सब्सडी दी जाती है।

बकरी की प्रमुख नस्ले (Goat breeds) 

भारत में बकरियों की लगभग 23 नस्ले पाई जा बकरी ती है तथा सभी दुधारू बकरिया अच्छी मांस  उत्पादन भी होता हैं।

बकरी की देशी नस्लों का वर्गीकरण(classification of indigenous goat breeds):- भारत में बकरियों को उनके पाए जाने वाले क्षेत्र के आधार पर निम्नलिखित पांच वर्गो में बाटा गया है

A) समशितोष्ण हिमालय क्षेत्र की नस्ले (Temperate Himalaya region breeds)

  1.  Kashmiri
  2. Changthangi
  3. Gaddi
  4. Chegu

B) उतरी शुष्क क्षेत्र की नस्ले ( Dry Northern region breeds)

  1. जमुनापारी
  2. Barbari
  3. बीटल

C) मध्य-भारत की नस्ले ( central Indian region breeds)

  • Marwari
  • Sirohi
  • Mehsana
  • Zalawadi
  • Berari
  • कठियावारी
  • Jhakrana
  • Kutchi

D) दक्षिण भारतीय नस्ले(southern indian breeds)

  1. सुरती
  2. Osmanabadi
  3. Malabari
  4. 4.sangamneri

E) पूर्वी क्षेत्र की नस्ले ( Eastern region breeds)

  • Ganjam
  • Assam Hill
  • Black Bengal

बकरी की विदेशी नस्ले ( Exotic breeds of goat)

  1. Alpine
  2. saanen
  3. angora
  4. Toggenberg
  5. nubian

राजस्थान में पाई जाने वाली बकरियों की नस्ले 

1 मारवाड़ी ( marwari )

यह नस्ल राजस्थान के मारवाड़ इलाके व गुजरात में भी पाई जाती हैं। इसके शरीर का रंग  लाल सा होता हैं तथा लंबे काले बाल पाए जाते हैं। अन्य रंग या रंगो का मिश्रण भी पाया जा सकता हैं।

  • इसका शरीर मध्यम आकार का होता हैं। सिर छोटा, muzzle छोटा व कान भी छोटे होते ह
  • नर मै दाढ़ी पाई जाती हैं तथा सभी बकरियों में छोटे व नुकीले सींग उपस्थित होते है।
  •  पूछ छोटी व पतली होती हैं।
  • Udder सुविकसित व teats लंबे होते हैं।
  • Marwari Goat, Marwari Buck

औसत शरीर भार वयस्क ( average body weight, Adult)

Male = 25-30kg

Female= 20-30kg

औसत दुग्ध उत्पादन (Average Milk production)

1-2 litres/day

2) सिरोही (Sirohi Bakari Palan)

यह नस्ल सिरोही जिले व गुजरात में पाई जाती हैं। इसका रंग काला या भूरा या दोनो का मिश्रण हो सकता हैं। इसका शरीर मध्यम आकार का व सुगठित होता हैं। इसमें सिंग पाए जाते है व कान मध्यम आकार के पतिनुमा व लटके हुए होते हैं।

यह नस्ल मुख्यत: मांस प्राप्ति हेतु पाली जाती हैं। सामान्यत: एक वर्ष में एक बार ब्याति है व जुड़वा बच्चे देती हैं।

औसत शरीर भार, वयस्क ( average body weight , adult)

Male=50kg        Female= 40kg

औसत दुग्ध उत्पादन( average milk production)

2-3 litres/day

3) काठियावाड़ी Bakari Palan

यह नस्ल राजस्थानी के गुजरात से सटे हुए इलाके में पाई जाती है।

*औसत दुग्ध उत्पादन ( average milk production)

1litre/day

4) झकराना ( jhakrana)

यह नस्ल अल्वर जिले की झकराना व मसल पर सफेद धब्बे पाए जाते हैं।

यह बड़े आकार की लंबी नस्ल है। इसके कान लंबे, चौड़े व सफेद रंग के तथा सिंग छोटे व सीधे होते है। जांघों के पीछे की और लंबे बाल पाए जाते हैं।

Udder बड़ा, सुविकसित व hock joint या उसके नीचे तक लटका रहता है।

औसत शरीर भार, वयस्क (average body weight, adult)

Male=40-70kg।     Female=35-40kg

औसत दुग्ध उत्पादन ( average milk production)

3-4 litres/day

5) देवगड़ी ( devgarhi)

यह Bakari Palan नस्ल राजसमन्द, kumbhalgad, नाथद्वार, भीलवाड़ा व उदयपुर आदि इलाकों में पाई जाती है।

इसका रंग भूरा या tan ( भूरे धब्बों सहित) हो सकता है। इन धब्बों की उपस्थिति के कारण ही इस नस्ल को स्थानीय भाषा में “मजीठी( majithi)कहते हैं।

यह मध्यम आकार की नस्ल है जिसके सींग छोटे व थोड़े से मुड़े हुए होते है। इसके कान लंबे व भूरे धब्बों युक्त होता हैं।

औसत शरीर भार, वयस्क( average body weight, adult)

Male=50kg, female=30kg

औसत दुग्ध उत्पादन (average milk production)

1litre/day

6) परबतसरी

  • यह नस्ल नागोर जिले की परबतसरी तहसील व अजमेर जिले में पाई जाती है।
  • इसका रंग हल्के से गहरे भूरा होता हैं।
  • इसका शरीर बड़ा व कान मध्यम लम्बाई के होते हैं।

औसत शरीर भार, वयस्क( average body weight, adulr)

Male= 60-65kg   female 40-45

औसत दुग्ध उत्पादन ( average milk production)

1litre/day

7) जमुनापारी

यह नस्ल सामान्यत उत्तरप्रदेश में पाई जाती हैं तथा राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में पाई जाती हैं। यह भारत की बकरियों की सबसे बड़ी( largest ) नस्ल है।

इसके सिंग बड़े व मुड़े हुए, कान बड़े व लटके हुए होते है तथा शरीर का रंग सफेद होता हैं। टांगे लंबी होती हैं व पीछे वाली टांगो पर लंबे व मोटे बाल पायें जाते है।

  • Jamunapari goat,
  • Jamunapari buck
  • Udder बड़ा व teats भी लंबे होते है।
  • यह नस्ल दूध व मांस दोनो प्राप्त करने के काम आती हैं।( Dual purpose breed)

औसत शरीर भार, वयस्क ( average body weight, adult  )

Male= 65-90kg।  Female=45-65kh

औसत दुग्ध उत्पादन (average Milk production)

1.5-2.5litres/day

8) कश्मीरी ( kashmiri)

यह नस्ल राजस्थान में नही बल्कि कश्मीर में पाई जाती हैं।

इसका मुख्य गुण इससे प्राप्त होने वाले सफेद रंग के मुलायम बाल हैं जिन्हे ‘ पश्मीना ( pashmina )’ कहा जाता है तथा यह विभिन्न ऊनी वस्त्र व शाल बनाने के काम आते हैं।

यह नस्ल कम दूध देती हैं व इसका उपयोग मुख्यत pashmina प्राप्त करने व परिवहन मै किया जाता हैं।

बकरियों की विदेशी नस्ले ( Exotic breeds of goats)

Saanen (सानेन)

यह नस्ल स्वीटजरलैंड मै पैदा हुई व अनेक देशों में पाई जाती हैं।

इसकी उच्च दुग्ध उत्पादक क्षमता के कारण इसे बकरियों की दुध की रानी ( milk queen of goats) कहते है।

औसत दुग्ध उत्पादन ( average milk production)  2180 litres/lactation period इसका lactation period  (दुग्धकाल) लगभग 8-10  महीने का होता हैं।

अंगोरा (Angora )

यह नस्ल तुर्की में पाई जाती हैं।

इस नस्ल से बहुत कीमती व महत्वपूर्ण रेशा मिलता है जिसे’ ‘मोहरे (Mohair)’  कहते हैं व यह इसके सफेद मुलायम बालो से प्राप्त होता हैं।

यह एक दुधारू बकरी नही है।

मोहरे का औसत उत्पादन 1.2kg./year होता हैं।

बकरी पालन कुल खर्चा

आम तौर पर Bakari Palan शेड के निर्माण में रू 100 प्रति वर्ग फीट का खर्च आता है। वार्षिक तौर पर जल, विद्युत् आदि के लिए रू 3000 तक का खर्च होता है. एक यूनिट बकरियों को खिलाने के लिए प्रत्येक वर्ष रू 20,000 की आवश्यकता होती है। यदि आप बकरियों का बीमा कराना चाहते है, तो इसके लिए कुल लागत का 5% खर्च करना होता है।

उदाहरण के तौर पर यदि एक यूनिट बकरियों की कुल कीमत रू 2,90,000 है, तो बीमा के लिए इसका 5% यानि कुल 1,9500 रूपए खर्च करनी होती है। एक यूनिट बकरियों पर कुल वैक्सीन और मेडिकल कास्ट रू 1,300 खर्च होता है. इसके अलावा आप यदि कार्य करने के लिए मजदूरों की नियुक्ति करते हैं, तो आपको अलग से पैसे देने की होंगे। 1 वर्ष का कुल खर्च: उपरोक्त सभी खर्चों को जोड़ कर एक वर्ष में बकरी पालन के लिए कुल 6 लाख रूपये तक की आती है।

Bakari Palan सरकार की तरफ से सहायता

सरकार की तरफ से कृषि और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएँ चलाई जाती हैं. हरियाणा सरकार ने भी मुख्यमंत्री भेड़ पालक उत्थान योजना को शुरू किया है, अतः आप अपने राज्य में चल रहे ऐसी योजनाओं का पता लगा कर लाभ उठा सकते है. इसके अलावा आपको नाबार्ड (NABARD) की तरफ से भी आर्थिक सहायता प्राप्त हो सकती है। अतः नाबार्ड में आवेदन देकर ऋण और सब्सिडी प्राप्त किया जा सकता है। बकरी से किसान दूध और मांस के साथ-साथ बाल, खाल और रेशों का व्यवसाय भी कर सकते हैं. इसके अलावा बकरी के मूत्र का इस्तेमाल खाद के रूप में भी किया जाता है. बकरी पालन के व्यवसाय में शुरुआती लागत कम होती है और इनके आवास व प्रबंधन पर भी कम खर्च आता है।

बकरी पालन में सरकार की ओर से भी मदद की जाती है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 25 से 33 प्रतिशत तक का अनुदान मिलता है। Bakari Palan के सफल व्यवसाय के लिए जरूरी है कि वे स्वस्थ और निरोगी रहें. अगर बकरियां बीमार हो जाएं तो तुरंत इलाज की सलाह दी जाती है.देश के बेहतरीन पशुधन प्रबंधन विभागों में से एक होने के नाते, बकरी पालन अधिक लाभ और राजस्व की संभावनाओं के साथ लोकप्रिय हो रहा है। यह लम्बे समय तक रहने वाला एक लाभदायक और टिकाऊ व्यवसाय है।

कमर्शियल बकरी पालन बड़े उद्यमों, व्यापारियों, उद्योगपतियों और उत्पादकों द्वारा किया जाता है। बकरी पालन दूध, चमड़ा और फाइबर का प्रमुख स्रोत है। सरकार ने बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए उद्यमियों के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं और सब्सिडी शुरू की है। बैंकों या लोन संस्थानों की सहायता से शुरू की गई कुछ प्रमुख योजनाओं और सब्सिडी की जानकारी नीचे दी गई है।

एसबीआई (SBI) बकरी पालन लोन

बकरी पालन के लिए लोन राशि व्यवसाय की आवश्यकताओं और आवेदक की प्रोफाइल पर निर्भर करेगी। आवेदक को एक अच्छी तरह से तैयार किया गया बिज़नेस प्लान पेश करनी चाहिए जिसमें क्षेत्र, स्थान, बकरी की नस्ल, उपयोग किए गए उपकरण, वर्किंग कैपिटल निवेश, बजट, मार्केटिंग की रणनीति, श्रमिकों का विवरण आदि जैसी सभी आवश्यक व्यवसायिक जानकारी शामिल होनी चाहिए, आवेदक द्वारा योग्यता शर्तों को पूरा करने के बाद एसबीआई आवश्यकता के अनुसार लोन राशि को मंज़ूरी देगा। एसबीआई भूमि के कागज़ों को गारंटी के रूप में पेश करने के लिए कह सकता है। ब्याज दर आवेदक की प्रोफाइल के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।

केनरा बैंक बकरी पालन लोन योजना

केनरा बैंक अपने ग्राहकों को आकर्षक ब्याज दरों पर भेड़ और बकरी पालन लोन (Canara Bank Goat Farming Loan) प्रदान करता है । पालन ​​के लिए एक विशिष्ट क्षेत्र के अनुकूल बकरियों की खरीद के उद्देश्य से लोन का लाभ उठाया जा सकता है।

विशेषताएं

लोन राशि:  व्यावसायिक आवश्यकताओं पर निर्भर करती है

भुगतान अवधि:  4 से 5 वर्ष तक (तिमाही / छमाही वार्षिक भुगतान)

मार्जिन:  1 लाख रु. तक के लोन के लिए – शून्य,  1 लाख रु. से ज़्यादा की लोन राशि पर – 15% से 25%

गारंटी:  1 लाख रु. तक के लोन के लिए: लोन राशि से बनाई जाने वाली संपत्ति गिरवी रखनी होगी।

1 लाख रु. से अधिक के लोन के लिए: ज़मीन और लोन राशि से बनाई जाने वाली संपत्ति गिरवी रखनी होगी।

आईडीबीआई बैंक बकरी पालन लोन योजना

आईडीबीआई बैंक अपनी योजना Agriculture Finance Sheep & Goat Rearing के तहत भेड़ और बकरी पालन के लिए लोन प्रदान करता है । भेड़ और बकरी पालन के लिए IDBI बैंक द्वारा दी जाने वाली न्यूनतम लोन राशि 50,000 है और अधिकतम लोन राशि 50 लाख रु. है। यह लोन राशि व्यक्तियों, समूहों, सीमित कंपनियों, शेपर्ड के सह-ऑप सोसायटी और संस्थाओं द्वारा ली जा सकती है जो इस गतिविधि में लगे हुए हैं।

बकरी पालन पंजीकरण (Registration)

आप अपने फर्म का पंजीकरण एमएसएमई अथवा उद्योग आधार की सहायता से कर सकते हैं. यहाँ पर उद्योग आधार द्वारा फर्म के पंजीकरण की जानकारी दी जा रही है।

-आप उद्योग आधार के अंतर्गत ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं. इसके लिए ऑनलाइन वेबसाइट udyogaadhar.gov.in है.

-यहाँ पर आपको अपनी आधार नंबर और नाम देने की आवश्यकता होती है.

-नाम और आधार संख्या दे देने के बाद आप ‘वैलिडेट आधार’ पर क्लिक करें. इस प्रक्रिया से आपका आधार वैलिडेट हो जाता है.

– इसके उपरान्त आपको अपना नाम, कंपनी का नाम, कंपनी का पता, राज्य, ज़िला, पिन संख्या, मोबाइल संख्या, व्यावसायिक ई मेल, बैंक डिटेल, एनआईसी कोड आदि देने की आवश्यकता होती है।

– इसके उपरांत कैपचा कोड डाल कर सबमिट बटन पर क्लिक करें।

इस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद आपको एमएसएमई की तरफ से एक सर्टिफिकेट तैयार हो जाता है. आप इस सर्टिफिकेट का प्रिंट लेकर अपने ऑफिस में लगा सकते हैं.

Bakari Palan मार्केटिंग (Marketing)

इस व्यापार को चलाने के लिए मार्केटिंग की आवश्यकता बहुत अधिक होती है. अतः आपको डेयरी फार्म से लेकर माँस के दुकानों तक अपना व्यापार पहुंचाना होता है. आप अपने बकरियों से प्राप्त दूध को विभिन्न डेयरी फार्म तक पहुँचा सकते हैं. इसके अलावा मांस की दुकानों में इन बकरियों को बेच कर अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है. भारत में एक बड़ी संख्या की आबादी मांस खाती है. अतः माँस के बाजार  में इसका व्यापार आसानी से हो सकता है।

बकरी पालन के लिए नाबार्ड लोन

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) का मुख्य फोकस पशुधन खेती के उत्पादन को बढ़ाने के लिए छोटे और मध्यम किसानों की आर्थिक मदद करना है जो अंततः रोज़गार के अवसरों में वृद्धि करेगा।

नाबार्ड विभिन्न बैंकों या लोन संस्थानों की मदद से बकरी पालन लोन प्रदान करता है

  1. कमर्शियल बैंक
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
  3. राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
  4. राज्य सहकारी बैंक
  5. शहरी बैंक

नाबार्ड की योजना के अनुसार, गरीबी रेखा के नीचे, SC / ST श्रेणी में आने वाले लोगों को बकरी पालन पर 33% सब्सिडी मिलेगी। अन्य लोगों के लिए जो ओबीसी और सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, उन्हें 25% सब्सिडी मिलेगी। जो कि अधिकतम 2.5 लाख रु. होगी।

बकरी को होने वाली बीमारिया

bakari palan किसानों के लिए वैसे तो मुनाफे का सौदा है, लेकिन कई बार बकरी या मेमने बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इसमें समय रहते इन बीमारियों की पहचान कर ली जाए तो बकरी की जान बचाई जा सकती है।

पीपीआर (बकरी प्लेग)

यह एक विषाणु जनित रोग है। यह रोग संक्रामक है तथा महामारी के रूप में बकरियों में फैलता है। झुण्ड की 90 प्रतिशत से ज्यादा बकरियॉं संक्रमित होती हैं और मृत्युदर काफी ज्यादा 50-90 प्रतिशत तक हो सकती है।

लक्षण

  • रोग से ग्रसित बकरियों में तेज बुखार/ 2060 फ़ारेनहाइट, हो जाता है।
  • नाक से पानी या द्रव मुॅंह में, ओठों व जीभ पर छाले हो जाते हैं।
  • काले रंग के दस्त एवं न्यूमोनिया इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

उपचार

बीमारी फैल जाने पर उपचार बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं है, परन्तु फिर भी लक्षणों के आधार पर जीवाणु नाशक दवाओं के रूप में द्वितीय संक्रमण रोकने हेतु एंटीबायोटिक्स व सहायक उपचार के रूप में बी-काम्पलेक्स की सुई व दस्त रोधक दवायें दी जा सकती हैं.

बच्चों में 4 माह की आयु में तथा सभी वयस्क बकरियों में पीपीआर टीके से इस रोग से मुक्ति मिल जाती है।

बकरी चेचक

बकरी चेचक रोग एक विषाणु जनित रोग है जो बकरियों के सभी आयु वर्ग में होता है लेकिन इससे छोटे बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

लक्षण

  • शरीर की चमड़ी, मुख्य रूप से कान, हांठ व थूथन पर चेचक रोग के चकत्ते/दाने पाए जाते हैं।
  • आँंख, नाक एवं मुंह से पानी का बहना।
  • सांस लेने में तकलीफ होना तथा निमोनिया के अन्य लक्षण।
  • इस रोग में मृत्यु दर काफी ज्यादा होती है।
  • शरीर की चमड़ी पर चेचक रोग के चकत्ते/दाने।

रोकथाम

रोग से बचाव हेतु बकरी चेचक का टीका लगवाया जाता है. तीन-चार महीने की उम्र के मेमनों को प्रारम्भिक टीका (1 मिली) खाल में नीचे लगाते हैं. फिर यह टीका प्रतिवर्ष लगाया जाना चाहिए. भेड़ों का चेचक का टीका बकरियों में चेचक से बचाव के लिए नहीं लगाया जा सकता है।

  • रोग की रोकथाम के लिए बीमार बकरियों को स्वस्थ बकरियों से अलग रखना चाहिए।
  • बीमार बकरियों के रहने का स्थान साफ-सुथरा हवादार होना चाहिए।
  • चमड़ी के खुरंटों को जला दें अथवाकर गढ़ढे में दबा दें।

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